Ahhankar
।।जय श्री यमुने।।शुभप्रभात्।। ।।अहंकार।। अहम् जिसको हमेशा झुकना पड़ता है चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो । हम किसी भी स्थिति में पहुँच जाएँ थोड़ा बहुत तो सभी के जीवन में अहंकार आ ही जाता है। आना कोई गलत नहीं है लेकिन उसका बस जाना वह बहुत गलत है । क्योंकि रोग की रोकथाम शुरू में ही हो जाए तो अच्छा है नहीं तो आगे वही रोग एक असाध्य रोग का रूप ले लेता है। इसीलिए अगर आप पर ठाकुर जी की कृपा है , बड़ो का , संतो का आशीर्वाद है तो आपका वह अहंकार कुछ ही पल का महमान बन वापस चला जाता है। इसे खत्म करने के और भी तरीके है सभी का सम्मान करो चाहे वह एक चींटी हो चाहे हाथी , चाहे वह एक छोटा बच्चा हो और चाहे वह दरवाजे पर आया हुआ भिखारी ।