।।जय श्री यमुने।। सत्कर्म सूचको नूनं ज्ञानयज्ञः स्मृतो बुधैः । श्रीमद्भाभागवतलापः स तु गीत शुकादिभिः।। जब किसी व्यक्ति के करोड़ों जन्मों के पुण्य उदय होते है। तब उस व्यक्ति को ठाकुर जी की कथा श्रवण एवं मनन करने का मोका मिलता है। कथा पापों से तो तारती है साथ ही आगे पाप न करने के लिए प्रेरित भी करती है। श्री मदभागवतम् स्वयं श्री कृष्ण का श्री विग्रह है। कथा सुनने का यदि प्रारब्ध बनता है तो अर्थ है स्वयं ठाकुर जी आपकी बाँह पकड़ना चाहते है और यदि आपने कथा का श्रवण कर लिया तो इसका अर्थ है ठाकुर जी ने आपकी बाँह को पकड़ लिया है और इसके बाद यदि आपने उस कथा को हृदयांगम कर लिया तो इसका अर्थ है ठाकुर जी ने आपको अपने हृदय से लगा लिया है। भागवत कथा, मासिक परायण/ bhagwat katha Maasik parayan. Namaste Jai shree Yamune Hopefully u all r enjoying the BLOGS, Any query fell free to contact us - 08218589315 Whatsup - 0741716336...
Namaste Jai shree Yamune Hopefully u all r enjoying the BLOGS, Any query fell free to contact us - 08218589315 Whatsup - 07417163367 Get daily updates on FACEBOOK www.facebook.com/acharyabhuvneshshukla/ Follow our BLOGGER www.acharyabhuvneshshukla.blogspot.in Follow us on TWITTER www.twitter.com/acharyabhuvnesh/ Join us on LINKEDIN www.linkedin/in/acharya-bhuvnesh-shukla/ Stay connected on INSTAGRAM www.instagram.com/acharyabhuvneshshukla/ Email us on acharyabhuvneshshukla@gmail.com acharyabhuvneshshukla@yahoo.com acharyabhuvneshshukla@outlook.com acharyabhuvneshshukla@religious.com Like, Share, Comment & SUBSCRIBE for More
।। जय श्री यमुने ।। शास्त्रों में भक्ति मार्ग बड़ा ही प्रबल और उत्कृष्ट मार्ग है। इस मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को निश्चित ही कृष्ण प्राप्ति होती है। लेकिन यह समझना बहुत जरुरी बन जाता है की भक्त की परिभाषा क्या है? भक्त के लक्षण क्या है? उसकी निष्ठा कितनी प्रबल है? सीधे तौर पर बोला जाए तो वह कितने पानी में है। यह बहुत आवश्यक है। एक बार की बात है श्री नामदेव जी जिनका ठाकुर जी से ऐसा संबंध की स्वयं ठाकुर जी साक्षात उनसे बात किया करते थे। एक बार सभी संत एक साथ बैठे हुए थे। उनमें उनके साथ उनके गुरुतुल्य भी एक सन्त साथ में बैठे हुए थे किसी ने कहा महाराज जी इनमें से कौनसा घड़ा पक...
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