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।।जय श्री यमुने।। शुभप्रभात्।।     दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,    अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत।             एक साधारण सा लोकव्यवहार जिसमें मनुष्य को दूसरे के अवगुण इतनी आसानी से दिख जाते है जिसमें उसे कोई मेहनत ही न करनी पड़ी हो और वहीं उन अवगुणों पर ऐसे हँसता हुआ चला जाता है जैसे वह तो दूध का धुला हुआ हो। लेकिन सत्यता वह जब अपनी ओर देखता है तब उसे अपने अवगुण याद आते है। लेकिन उसमें भी कुछ ऐसे महापुरुष देखने को मिल जाते है जो अपने उन अवगुणों को खत्म करने की जगह उन्हें अपनी शान समझ बैठते है और फिर दुनिया के सामने अपने उस महान व्यक्तित्व का परिचय देते हुए है।  "अपनी थाली पहले से खोटी है,और दूसरों की थाली में खोट ढूढ़ते हुए डोलते है"                  यदि आपने अपना कोई अवगुण पहचान लिया है तो उसे समय रहते ही दूर कर लेना चाहिए नहीं तो वह अवगुण उस दीमक की तरह है जो उस लकड़ी को पूरा तरह खत्म कर देगी। Namaste Jai shree Yamune Hopefully u all r enjoying the BLOGS, Any query fell free to contact us 08218589315 /Whatsup - 07417163367  Get daily

Who is Guru ?

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।।जय श्री यमुने।।शुभप्रभात्।।  साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,  सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय                               श्री कबीरदास जी का यह दोहा गुरु की खोज को बहुत अच्छे से स्पष्ट करता है। गुरु का अर्थ यह नहीं की जिनसे आपने कंठी ली है सिर्फ वही आपके गुरु है या जिन्होंने आपको पढ़ाया है वही आपके गुरु है। श्री दत्तात्रेय जी के चौबीस गुरु थे। गुरु का अर्थ यही है जो आपके अवगुणों को दूर कर आपको आपके ही सद्गुणों में ही पूर्ण करे वही गुरु है। लेकिन दीक्षा गुरु जीवन में एक ही होते है। इसलिये यह जरूरी नहीं की आप अपने गुरु जी को एक शरीर रूपी मनुष्य मानें इसलिये कहा गया है-        "अखण्ड मंडलाकारम् व्याप्तं येन चराचरं"                               वह जिन्हें आपने अपना गुरु माना या बनाया है उन्हीं का दर्शन अब आपको प्रत्येक प्राणिजगत में भी हो तभी आपका गुरु बनाने का उद्देश्य पूर्ण होगा। Namaste  Jai shree Yamune  Hopefully u all r enjoying the BLOGS,  Any query fell free to contact us 08218589315  Whatsup - 07417163367  Get daily updates on