RAS/रस

।।जय श्री यमुने।। शुभप्रभात्।।

रस क्या है ?

                                       जब श्री राधा रानी की कृपा से उन सन्तो का आश्रय मिल जाए और जो इसका बोध कराये की श्री जी की कृपा किन किन सन्तों पर किस किस प्रकार पड़ी, किस किस ने उस कृपा को लूटा, उसका लाभ उठाया, कौन कौन उस रस में गोते लगा चुका है। इसके बारे में बताये एवं और जो स्वयं उस रस में डूबा हुआ हो। वही सच्चा रसिक है। क्योंकि मीठी मीठी बातें तो दुकानदार भी कर लेता है और हमें अपना कैसा भी सामान देकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेता है। लेकिन सच्चा रसिक वही है जो ठाकुर जी की कथा को सन्तों की पूर्ण कथा को उन्हीं ग्रंथों के सस्वरूप सुनाये और जिसकी आँखे ही उस रस का सम्पूर्ण बोध करा देती है। उसकी जुबान उस रस को कम उसकी आँखे उस रस को ज्यादा उड़ेलती है। क्योंकि उस रसिक ने उस रस को प्राप्त करने के साथ साथ उसके स्वाद को भी चखा है। यही कारण होता है। उन रसिकों को इस संसार के नियम बन्धन बाँध नहीं पाते, उन्हें इस संसार के भौतिक सुखो में सुख नहीं मिलता उन्हें तो बस उन युगल जोड़ी सरकार के चरणों का दर्शन प्रत्येक पल मिलता रहे इसी में वह अपना सम्पूर्णानन्द प्राप्त करते रहते है। यही सच्चा रस है और उसके परम रसिकों का परिचय है। रसिकों में सर्वश्रेष्ठ श्री शुकदेव जी हुए जिन्होंने भागवत रूपी उस फल को चख कर उस शुक की भाँती और अत्यधिक मीठा कर दिया।

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