भागवत कथा, मासिक परायण/ bhagwat katha Maasik parayan
।।जय श्री यमुने।।
सत्कर्म सूचको नूनं ज्ञानयज्ञः स्मृतो बुधैः ।
श्रीमद्भाभागवतलापः स तु गीत शुकादिभिः।।
जब किसी व्यक्ति के करोड़ों जन्मों के पुण्य उदय होते है। तब उस व्यक्ति को ठाकुर जी की कथा श्रवण एवं मनन करने का मोका मिलता है। कथा पापों से तो तारती है साथ ही आगे पाप न करने के लिए प्रेरित भी करती है। श्री मदभागवतम् स्वयं श्री कृष्ण का श्री विग्रह है। कथा सुनने का यदि प्रारब्ध बनता है तो अर्थ है स्वयं ठाकुर जी आपकी बाँह पकड़ना चाहते है और यदि आपने कथा का श्रवण कर लिया तो इसका अर्थ है ठाकुर जी ने आपकी बाँह को पकड़ लिया है और इसके बाद यदि आपने उस कथा को हृदयांगम कर लिया तो इसका अर्थ है ठाकुर जी ने आपको अपने हृदय से लगा लिया है।
भागवत कथा, मासिक परायण/ bhagwat katha Maasik parayan.
Namaste
Jai shree Yamune
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