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Day-5 Shrimad Bhagwat katha Bhuvnesh ji Shukla from kesi ghat, Vrindavan

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Day-5 Shrimad Bhagwat Katha Bhuvnesh Ji Shukla from Keshi ghat, Vrindavan https://youtu.be/ft_Etns3GpA via @YouTube https://youtu.be/ft_Etns3GpA 🌹Jay Shree yamune🌹 Shreemadbhahwatam 5th day Katha Live 🌹Jay Shree Yamuna🌹 Please feel free to give your feedback & don't forget to subscribe and forward to your friends & relatives. Thanking you Contact us- 7417163367 🌹🌹

।।जय श्री यमुने।।

                                                  रस                                     रस क्या है? रस की अभिव्यक्ति क्या है? कहाँ से आया यह रस? किसी भवरें से पूछो तो बताएगा पुष्पों में रस हैं। किसी मनुष्य से पूछो तो बतायेगा मिठाइयो में रस हैं। किसी पक्षी से पूछो तो बतायेगा नदी का जल ही रस हैं। किसी कवि से पूछो तो बतायेगा कविताओं में रस हैं।  सभी ने अपने अपने रस का आस्वादन किया और एक समय के लिए सन्तुष्ट हो गए। लेकिन जब प्रेमी भक्तों से पूछा रस कहाँ है ?  तो उसका उत्तर वह रसिक प्रेमी भक्त देते है                                          "राधा रस सुधा पान शालिने वनमालिने"                                    जिस रस को स्वयं रसिक शेखर हमारे ठाकुर श्री कृष्ण सदा निरन्तर पीते हैं वही मूल रस है। यह राधा रूपी रस ऐसा रस हैं जिसके पीने से जीव अतृप्त नहीं होता । जीव उस रस को पीते पीते उसी रस में डूबना आरम्भ कर देता हैं और यही रस उस जीव को जीवन की राह दे देता हैं। अरे यह राधा नाम रूपी रस कोई साधारण नाम नहीं हैं -                                             "कृष्णति भजति इति

।। जय श्री यमुने ||

🌹🌹 *।। जय श्री यमुने।। शुभप्रभात।।* 🌹🌹 *_नवसंवत्सर की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ।_* आज हमारे सनातन धर्म का नव वर्ष है मेरा आप सभी से अनुरोध है कि अपने हिन्दू नव वर्ष को अंग्रेजी नव वर्ष से भी अधिक ख़ुशी से मनायें।                          -आचार्य भुवनेश शुक्ला

Jai Hind

https://brajabs.wordpress.com/2018/01/26/jay-hind/

Jai Shree yamune

।।जय श्री यमुने।। ऊधौ मन ना भये दस-बीस एक हुतो सो गयौ स्याम संग, कौ आराधे ईस॥1॥  भ्रमर गीत में सूरदास ने उन पदों को समाहित किया है जिनमें मथुरा से कृष्ण द्वारा उद्धव को बर्ज संदेस लेकर भेजा जाता है और उद्धव जो हैं योग और ब्रह्म के ज्ञाता हैं उनका प्रेम से दूर दूर का कोई सरोकार नहीं है। जब गोपियाँ व्याकुल होकर उद्धव से कृष्ण के बारे में बात करती हैं और उनके बारे में जानने को उत्सुक होती हैं तो वे निराकार ब्रह्म और योग की बातें करने लगते हैं तो खीजी हुई गोपियाँ उन्हें काले भँवरे की उपमा देती हैं। बस इन्हीं करीब १०० से अधिक पदों का संकलन भ्रमरगीत या उद्धव-संदेश कहलाया जाता है। कृष्ण जब गुरु संदीपन के यहाँ ज्ञानाजर्न के लिये गए थे तब उन्हें बर्ज की याद सताती थी। वहाँ उनका एक ही मित्र था उद्धव, वह सदैव रीत-नीति की, निर्गुन ब्रह्म और योग की बातें करता था। तो उन्हें चिन्ता हुई कि यह संसार मात्र विरिक्तयुक्त निर्गुन ब्रह्म से तो चलेगा नहीं, इसके लिये विरह और प्रेम की भी आवश्यकता है। और अपने इस मित्र से वे उकताने लगे थे कि यह सदैव कहता है, कौन माता, कौन पिता, कौन सखा, कौन बंधु। वे सोचते इसक