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।।जय श्री यमुने।।

                                                  रस                                     रस क्या है? रस की अभिव्यक्ति क्या है? कहाँ से आया यह रस? किसी भवरें से पूछो तो बताएगा पुष्पों में रस हैं। किसी मनुष्य से पूछो तो बतायेगा मिठाइयो में रस हैं। किसी पक्षी से पूछो तो बतायेगा नदी का जल ही रस हैं। किसी कवि से पूछो तो बतायेगा कविताओं में रस हैं।  सभी ने अपने अपने रस का आस्वादन किया और एक समय के लिए सन्तुष्ट हो गए। लेकिन जब प्रेमी भक्तों से पूछा रस कहाँ है ?  तो उसका उत्तर वह रसिक प्रेमी भक्त देते है                                          "राधा रस सुधा पान शालिने वनमालिने"                                    जिस रस को स्वयं रसिक शेखर हमारे ठाकुर श्री कृष्ण सदा निरन्तर पीते हैं वही मूल रस है। यह राधा रूपी रस ऐसा रस हैं जिसके पीने से जीव अतृप्त नहीं होता । जीव उस रस को पीते पीते उसी रस में डूबना आरम्भ कर देता हैं और यही रस उस जीव को जीवन की राह दे देता हैं। अरे यह राधा नाम रूपी रस कोई साधारण नाम नहीं हैं -                                             "कृष्णति भजति इति