Krishnaa

।।जय श्री यमुने।।शुभप्रभात्।।



 कृष्णां कृष्ण समां कृष्णरूपां कृष्णरसात्मिकाम ।
 कृष्णलीलामृतजलां कृष्ण सम्बन्ध कारिणीम् ।।


                                    भगवान श्री कृष्ण के समान श्री यमुना जी भी उसी रूप और रस की प्रदायिनी  है। भगवान श्री कृष्ण की पूर्ण भक्ति की प्रदायिनी भी श्री यमुना जी है। श्री यमुना जी के बिना भगवान श्री कृष्ण की भक्ति अधूरी ही मानी जाती है। इसलिए सभी रसों की प्रदायिनी भी श्री यमुने जी ही है।

Comments

Popular posts from this blog

सरल

Maya/माया

भागवत कथा, मासिक परायण/ bhagwat katha Maasik parayan