पूज्यनीय कौन और क्यों?
।।जय श्री यमुने।।
क्या अपने से बड़े ही पूज्यनीय है? क्या ज्ञानी ही पूज्यनीय है? क्या छोटे अपूज्यनिय है? यह सभी प्रश्न ऐसे है जो बड़े ही सोचनीय विषय है।
श्री शुकदेव जी, श्री कपिलदेव जी, श्री वामन भगवान सभी अपनी छोटी उम्र में पूज्यनीय हुए। एक जिनके सभा में पधारने पर उनके दादा जी, पिताजी आदि सभी उनके सम्मान में खड़े होकर वन्दन करने लगे। एक वह जिन्हे उनकी माँ ने ही उन्हें गुरु बना लिया। एक वह जिन्होंने छोटी सी उम्र में बड़े बड़े ऋषियों के तप को एक किनारे कर उस परमतत्व को प्राप्त कर लिया।
अब आती है बात अनपढों की तुलसीदास, वाल्मीकि, जड़भरत आदि जिन्होंने पाठशालाओं का मुँह तक नहीं देखा और उनके दिखाए हुए मार्ग और उनके ही लिखे हुए ग्रन्थ आज भी बड़े बड़े ज्ञानी पड़ते है और उन्हीं से अपनी विद्या की पूर्णता करते है।
इसलिए कहा भी गया है "छोटा तीर घाव करे गंभीर" इसलिए इस संसार में एक छोटे से छोटे कण से लेकर बड़े से बड़ा पशु भी पूज्यनीय है।
Namaste
Jai shree Yamune
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