।।मुश्किले।।

।।जय श्री यमुने।।  

                             




                                        इंसान की परेशानियां उसकी सोच उत्पन्न करती है। यदि मनुष्य उस मुश्किल को छोड़ उसकी निदान के बारे में विचार करे तो वह उस मुश्किल से बहुत जल्दी बाहर आजाता है। यदि मनुष्य उस परेशानी का स्वरूप बदल दे। जैसे की एक सोने को सही स्वरूप में ढलने के लिए तपाना आवश्यक है। उसी प्रकार मनुष्य को किसी मंजिल को प्राप्त करने के लिए परेशानियों से डट कर सामना करना चाहिए।

Comments

Popular posts from this blog

सरल

Maya/माया

भागवत कथा, मासिक परायण/ bhagwat katha Maasik parayan